Posts

Maa Ka Aanchal

डीआईजी नवनीत सिकेरा ने एक *बेहद मार्मिक स्टोरी* पोस्ट की। एक *जज अपनी पत्नी को क्यों दे रहे हैं तलाक???*। *""रोंगटे खड़े"" कर देने वाली स्टोरी* को जरूर पढ़े और लोगों को शेयर करें। ⚡कल रात एक ऐसा वाकया हुआ जिसने मेरी *ज़िन्दगी के कई पहलुओं को छू लिया*. करीब 7 बजे होंगे, शाम को मोबाइल बजा । उठाया तो *उधर से रोने की आवाज*... मैंने शांत कराया और पूछा कि *भाभीजी आखिर हुआ क्या*? उधर से आवाज़ आई.. *आप कहाँ हैं??? और कितनी देर में आ सकते हैं*? मैंने कहा:- *"आप परेशानी बताइये"*। और "भाई साहब कहाँ हैं...?माताजी किधर हैं..?" "आखिर हुआ क्या...?" लेकिन *उधर से केवल एक रट कि "आप आ जाइए"*, मैंने आश्वाशन दिया कि *कम से कम एक घंटा पहुंचने में लगेगा*. जैसे तैसे पूरी घबड़ाहट में पहुँचा; देखा तो भाई साहब [हमारे मित्र जो जज हैं] सामने बैठे हुए हैं; *भाभीजी रोना चीखना कर रही हैं* 12 साल का बेटा भी परेशान है; 9 साल की बेटी भी कुछ नहीं कह पा रही है। मैंने भाई साहब से पूछा कि *""आखिर क्या बात है""*??? *"&

Bacho ki seekh(Children's Learning): हंस हंसिनी और उल्लू

Bacho ki seekh(Children's Learning): हंस हंसिनी और उल्लू : हंस  हंसिनी और उल्लू एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये!...

हंस हंसिनी और उल्लू

Image
हंस  हंसिनी और उल्लू एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये! हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ?? यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा ! भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे ! रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर से चिल्लाने लगा। हंसिनी ने हंस से कहा- अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है। हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ?? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही। पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई, मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ करदो। हंस ने कहा- कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद! यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी क

कर्म की गति

Image
एक कारोबारी सेठ सुबह सुबह जल्दबाजी में घर से बाहर निकल कर ऑफिस जाने के लिए कार का दरवाजा खोल कर जैसे ही बैठने जाता है, उसका पाँव गाड़ी के नीचे बैठे कुत्ते की पूँछ पर पड़ जाता है। दर्द से बिलबिलाकर अचानक हुए इस वार को घात समझ वह कुत्ता उसे जोर से काट खाता है। गुस्से में आकर सेठ आसपास पड़े 10-12 पत्थर कुत्ते की ओर फेंक मारता है पर भाग्य से एक भी पत्थर उसे नहीं लगता है और वह कुत्ता भाग जाता है। जैसे तैसे सेठजी अपना इलाज करवाकर ऑफिस पहुँचते हैं जहां उन्होंने अपने मातहत मैनेजर्स की बैठक बुलाई होती है। यहाँ अनचाहे ही कुत्ते पर आया उनका सारा गुस्सा उन बिचारे प्रबन्धकों पर उतर जाता है।  वे प्रबन्धक भी मीटिंग से बाहर आते ही एक दूसरे पर भड़क जाते हैं - बॉस ने बगैर किसी वाजिब कारण के डांट जो दिया था। अब दिन भर वे लोग ऑफिस में अपने नीचे काम करने वालों पर अपनी खीज निकलते हैं – ऐसे करते करते आखिरकार सभी का गुस्सा अंत में ऑफिस के चपरासी पर निकलता है जो मन ही मन बड़बड़ाते हुए भुनभुनाते हुए घर चला जाता है। घंटी की आवाज़ सुन कर उसकी पत्नी दरवाजा खोलती है और हमेशा की तरह पूछती है “आज फिर देर हो गई आने

बदकिस्मत कौन ?

Image
एक बार यात्रियों से भरी एक बस  कहीं जा रही थी।  अचानक मौसम बदला धुलभरी आंधी के बाद  बारिश की बूंदे गिरने लगी बारिश तेज होकर  तूफान मे बदल चुकी थी |  घनघोर अंधेरा छा गया भयंकर बिजली चमकने  लगी बिजली कडककर बस की तरफ आती और वापस चली जाती  ऐसा कई बार हुआ सब की सांसे ऊपर की ऊपर  और नीचे की नीचे। ड्राईवर ने आखिरकार बस को एक बडे से पेड से  करीब पचास कदम की दूरी पर रोक दी और  यात्रियों से कहा कि इस बस मे कोई ऐसा यात्री बैठा है जिसकी मौत आज  निश्चित है |  उसके साथ साथ कहीं हमे  भी अपनी जिन्दगी से हाथ न धोना पडे|  इसलिए सभी यात्री एक एक कर जाओ और उस  पेड के हाथ लगाकर आओ, जो भी बदकिस्मत  होगा उस पर बिजली गिर जाएगी और  बाकी सब बच जाएंगे। सबसे पहले जिसकी बारी थी उसको दो तीन  यात्रियों ने जबरदस्ती धक्का देकर बस से नीचे  उतारा |वह धीरे धीरे पेड तक गया डरते डरते पेड  के हाथ लगाया और भाग कर आकर बस मे बैठ  गया।  ऐसे ही एक एक कर सब जाते और भागकर आकर बस  मे बैठ चैन की सांस लेते। अंत मे केवल एक आदमी बच गया उसने  सोचा तेरी मौत तो आज निश्चित है सब उसे  किसी अपराधी की तरह देख रहे थे जो आज उन्हे अपन

मन

मन   किसी राजा के पास एक बकरा था । एक बार उसने एलान किया की जो कोई इस बकरे को जंगल में चराकर तृप्त करेगा मैं उसे आधा राज्य दे दूंगा। किंतु बकरे का पेट पूरा भरा है या नहीं इसकी परीक्षा मैं खुद करूँगा। इस एलान को सुनकर एक मनुष्य राजा के पास आकर कहने लगा कि बकरा चराना कोई बड़ी बात नहीं है। वह बकरे को लेकर जंगल में गया और सारे दिन उसे घास चराता रहा,, शाम तक उसने बकरे को खूब घास खिलाई और फिर सोचा की सारे दिन इसने इतनी घास खाई है अब तो इसका पेट भर गया होगा तो अब इसको राजा के पास ले चलूँ, बकरे के साथ वह राजा के पास गया, राजा ने थोड़ी सी हरी घास बकरे के सामने रखी तो बकरा उसे खाने लगा। इस पर राजा ने उस मनुष्य से कहा की तूने उसे पेट भर खिलाया ही नहीं वर्ना वह घास क्यों खाने लगता। बहुत जनो ने बकरे का पेट भरने का प्रयत्न किया किंतु ज्यों ही दरबार में उसके सामने घास डाली जाती तो वह फिर से खाने लगता। एक विद्वान् ब्राह्मण ने सोचा इस एलान का कोई तो रहस्य है, तत्व है, मैं युक्ति से काम लूँगा, वह बकरे को चराने के लिए ले गया। जब भी बकरा घास खाने के लिए जाता तो वह उसे लकड़ी से मारता, सारे दिन मे

मेरी माँ

Image
मेरी माँ   एक गाँव में 10, साल का लड़का अपनी माँ के साथ रहता था। माँ ने सोचा कल मेरा बेटा मेले में जाएगा,   उसके पास 10 रुपए तो हो, ये सोचकर माँ ने खेतो में काम करके शाम तक पैसे ले आई। बेटा स्कूल से आकर बोला खाना खाकर जल्दी सो जाता हूँ, कल मेले में जाना है। सुबह माँ से बोला - मैं नहाने जाता हूँ,नाश्ता तैयार रखना, माँ ने रोटी बनाई, दूध अभी चूल्हे पर था, माँ ने देखा बरतन पकडने के लिए कुछ नहीं है, उसने गर्म पतीला हाथ से उठा लिया, माँ का हाथ जल गया। बेटे ने गर्दन झुकाकर दूध रोटी खाई और मेले में चला गया।  शाम को घर आया,तो माँ ने पूछा - मेले में क्या देखा,10 रुपए का कुछ खाया कि नहीं..!! बेटा बोला - माँ आँखें बंद कर,तेरे लिए कुछ लाया हूँ। माँ ने आँखें बंद की,तो बेटे ने उसके हाथ में गर्म बरतन उठाने के लिए लाई संडासी रख दी। अब माँ तेरे हाथ नहीं जलेंगे। माँ की आँखों से आँसू बहने लगे।                               दोस्तों, माँ के चरणों मे स्वर्ग है कभी उसे दुखी मत करो | सब कुछ मिल जाता है, पर माँ दुबारा नहीं मिलती। माँ,मेरा गुरू, माँ कल्पतरू, माँ सुख का सागर..!! " मेरी म